आशीष त्यागी/बागपत:चिरायता एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, वैसे तो ये हर जगह मिल जाती है, लेकिन ये मुख्य रूप से भारत के हिमालय क्षेत्रों में पाई जाती है. ये अपने विशिष्ट कड़वे स्वाद के लिए जाना जाता है. इसमें बैंगनी रंग के हरे-पीले फूल होते हैं. ये ज्वरनाशक है, यानि बुखार में फायदेमंद है. इसके अलावा ये सूजन-रोधी है, यानि कि सूजन को कम करता है. साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट, हेपेटोप्रोटेक्टिव, एंटीफंगल, हाइपोग्लाइकेमिक, पाचक और पित्तशामक गुण होते हैं. इसकी वजह से इसे कई बीमारियों का रामबाण इलाज माना जाता है.
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर राघवेंद्र चौधरी ने बताया कि भाग दौड़ भरी लाइफस्टाइल में अपने आप को स्वस्थ रखना एक चुनौती है और पेट संबंधित समस्याएं सबसे ज्यादा अधिक प्रभावित करती हैं. वहीं लीवर भी इफेक्टिव होता है. वही लीवर को डिटॉक्स करने के लिए चिरायता का मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है. चिरायता का नियमित उपयोग करने से लीवर पूरी तरह साफ और सुरक्षित रहता है. वहीं चिरायता को मुख्य उपयोग बुखार में भी किया जाता है. इसमें गिलोय, चिरायता, सोंठ मिलाकर अगर इस्तेमाल करते हैं, तो बुखार से निजात मिलती है और नियमित सेवन से बुखार जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है.
इस प्रकार से कर सकते है चिरायता का सेवन
चिरायता का सेवन विभिन्न प्रकार से कर सकते हैं. जैसे कि आप इसे चाय और दूध में मिला कर पी सकते हैं पर अगर आप चिरायता का पानी पीते हैं, तो ये शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकता है. चिरायता का पानी बनाने के लिए कच्चा या सूखा चिरायता लें. इसे 1 कप पानी में तब तक उबालें जब तक कि यह 1/3 भाग न रह जाए. इस पानी को छानकर दिन में दो बार खाना खाने के बाद खाली पेट ले सकते हैं. इससे आप पुरी तरह स्वस्थ रहेगा.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और हेल्थ बेनिफिट रेसिपी की सलाह, हमारे एक्सपर्ट्स से की गई चर्चा के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है न कि व्यक्तिगत सलाह. हर व्यक्ति की आवश्यकताएं अलग हैं, इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही किसी चीज का इस्तेमाल करें. कृपया ध्यान दें, Local-18 की टीम किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगी.
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FIRST PUBLISHED : January 16, 2024, 17:22 IST