हाइलाइट्स
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है
सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है
शिव पूजा में बेल पत्र चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं
Lord Shiva: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का बहुत महत्व है. भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है, कोई उन्हें महादेव तो कोई भोलेनाथ कहता है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. इस दिन महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि शिव जी बहुत भोले हैं. भक्तों द्वारा सच्चे मन से पूजा करने पर बहुत जल्द ही भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान भोलेनाथ की पूजा में कई चीजें चढ़ाई जाती हैं जो उन्हें बेहद प्रिय हैं. जीलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, पुष्प के साथ ही महादेव को बेल पत्र भी बेहद प्रिय है.
भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए बहुत ज्यादा कठिन तप करने की आवश्यकता नहीं होती. उन्हें आप एक कलश जल और बेलपत्र चढ़ा कर प्रसन्न कर सकते हैं. महादेव की पूजा में बेल पत्र जरूर चढ़ाया जाता है. आइए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर भगवान शिव को बेल पत्र क्यों चढ़ाया जाता है. साथ ही जानेंगे इससे जुड़ी पौराणिक कथा.
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पौराणिक कथा
समुद्र मंथन के बारे में तो आप सभी भी जानते ही होंगे. एक बार देवता और दानव के बीच समुद्र मंथन हुआ था. इस समुद्र मंथन में अच्छी और बुरी दोनों तरह की चीज़ें निकली थी. समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नामक एक विष निकला था. यह विष इतना प्रभावशाली था कि सारे संसार को अपने चपेट में ले लेता. सभी देवता उस विष के जानलेवा प्रभाव के आगे कमज़ोर नजरआने लगे. किसी में भी इतनी शक्ति नहीं थी कि उस विष के प्रभाव को रोक सके. उस समय भगवान शिव ने पूरे संसार को बचाने के लिए इस विष का पान कर लिया और इसे अपने कंठ में ही धारण करे रखा. विष के अत्यंत प्रभावशाली होने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया. तभी से उनका नाम भी नील कंठ पड़ गया.
बेहद खतरनाक विष प्रभाव के कारण भगवान शिव का शरीर तपने लगा और अत्यधिक गरम हो गया. इसी कारण आस-पास का वातावरण भी जलने लगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बेल पत्र विष के प्रभाव को कम करता है. जिसके कारण भगवान शिव को देवताओं ने बेल पत्र खिलाना शुरु किया. साथ ही भोलेनाथ को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित किया गया. जिससे उन्हें काफी आराम मिला और उनके शरीर की तपन भी कम हुई. तभी से भगवान शिव पर बेल पत्र अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है. जिसे आज तक निभाया जा रहा है.
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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news 18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lord Shiva
FIRST PUBLISHED : April 17, 2023, 06:45 IST