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पिछले तीन माह में अलीगढ़ मुस्लिम विवि से जुड़े आधा दर्जन से ज्यादा संदिग्ध आतंकी पकड़े जा चुके हैं। दो संदिग्धों पर एटीएस ने इनाम घोषित कर दिया है। शनिवार को पता चला है कि दोनों फरार संदिग्ध आतंकी एएमयू में एमएसडब्ल्यू के छात्र हैं। इससे पहले दोनों ने एएमयू से ही बैचलर ऑफ आर्ट की पढ़ायी की है।
पुणे मॉड्यूल्स पर काम कर रही यूपी एटीएस ने अलीगढ़ के रहने वाले एएमयू के पूर्व छात्र माज बिन तारिक और अब्दुल्ला अर्सलान को पिछले दिनों गिरफ्तार किया था। वह आईएस से ऑनलाइन जुड़े थे। सामने आया था कि उन्हें बाद में गिरफ्तार हुए एएमयू के ही पूर्व छात्र छत्तीसगढ़ के वजीहुद्दीन ने आईएस से जोड़ा था। वजीहुद्दीन शहर में रहकर कोचिंग चला रहा था। इसके अलावा संभल के कुछ पूर्व छात्रों को भी गिरफ्तार किया गया था। इन सभी में एक बात यह भी देखने को मिली थी कि सभी एएमयू के छात्र संगठन स्टूडेंट्स ऑफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सदस्य हैं। इससे पहले झारखंड से एएमयू बीए के छात्र फैजान को गिरफ्तार किया गया था।
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जांच के क्रम में एसटीएस टीम अब्दुल्ला अर्सलान व माज बिन तारिक, वजीहुद्दीन समेत अन्य को लेकर अलीगढ़ आयी थी। टीम ने पूर्व छात्र वजीहुद्दीन सहित पांच लोगों को रिमांड पर लिया था। वजीहुद्दीन पर आरोप था कि वह छात्रों को जोड़ने के अलावा केमिकल बम ब्लॉस्ट कराने की साजिश में था। सामु संगठन के जरिये सभी एक दूसरे से जुड़े थे।
दो दिन पहले प्रकाश में आये एएमयू के अब्दुल समद मलिक और फैजान बख्तियार पर एटीएस ने 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। यह दोनों भी एएमयू के छात्र हैं। एएमयू से एमएसडब्ल्यू की पढ़ायी कर रहे हैं। इससे पहले एएमयू से ही बीए किया था। दोनेां पर आरोप है कि वह सोशल मीडिया पर युवकों को आतंकवाद के लिए प्रेरित करते थे। दोनों की तलाश की जा रही है। नाम सामने आने के बाद विवि प्रशासन ने भी दोनों का रिकॉर्ड खंगाला। इनमें एक संभल व दूसरा इलाहाबाद का रहने वाला है।
एएमयू में कभी भी डेरा डाल सकती है एटीएस
एटीएस की टीम एएमयू में कभी भी डेरा डाल सकती है। सूत्रों की मानें तो टीम को आशंका है कि फरार आतंकी एएमयू में ही कहीं छुपे हैं। इसको लेकर अहम इनपुट भी जुटाये जा रहे हैं। टीम की रडार पर अन्य कई संदिग्ध भी आ सकते हैं।
एएमयू की अब तक किसी छात्र पर कार्रवाई नहीं
एटीएस की रडार पर एएमयू के कई छात्र आ चुके हैं, लेकिन विवि प्रशासन की ओर से अभी तक किसी के भी खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। विवि के अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों की ओर से विवि के पास अभी तक लिखित में कुछ नहीं आया है। जिसके चलते उन पर कार्रवाई नहीं की जा सकी है।