नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक अपर नगर आयुक्त को कथित रूप से धमकी देने के आरोप में समाजवादी पार्टी के नेता यूसुफ मलिक के खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाने के यूपी सरकार के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि यह कानून का ‘दुरुपयोग’ है. अदालत ने कहा कि इस अधिनियम को राजनीतिक प्रकृति के मामलों में लागू नहीं किया जाना चाहिए. जस्टिस संजय किशन कौल और एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा, ‘यह अधिकारियों द्वारा दिमाग न लगाने और अनुचित प्रक्रिया का मामला है. हम काफी हैरान हैं कि संपत्ति के लिए राजस्व की वसूली के मामलों में एनएसए लगाया जा रहा है. हम कार्रवाई को रद्द करते हैं और उसे (यूसुफ मलिक) तत्काल मुक्त करते हैं.’
यूसुफ मलिक को पिछले साल अप्रैल में एनएसए की धारा 3 (2) के तहत यूपी पुलिस ने हिरासत में लिया था. उनके खिलाफ सरकारी अधिकारियों को धमकाने और उनके रिश्तेदारों की संपत्ति पर राजस्व की वसूली नहीं करने देने, सहित सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के लिए दो प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं. मलिक ने पहली बार जुलाई में अपनी नजरबंदी के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उनकी याचिका पर निर्णय लेने में हाई कोर्ट की ओर से देरी के कारण उन्हें SC जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. शीर्ष अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता वसीम कादरी ने यूसुफ मलिक का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने ने तर्क दिया, ‘मलिक को झूठे मुकदमों में फंसाया गया है और वह राज्य में वर्तमान सत्ताधारी पार्टी के इशारों पर पुलिस के हाथों राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार बने हैं.’
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अदालत से आदेश पारित नहीं करने की अपील करते हुए, राज्य ने कहा कि यूसुफ मलिक की नजरबंदी का एक वर्ष 23 अप्रैल को पूरा हो जाएगा. उन्हें उस अवधि से अधिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है और वह 12 दिनों के बाद हिरासत से बाहर आ जाएंगे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने राज्य के फैसले को अस्वीकार कर दिया और कहा कि यह कानून का दुरुपयोग है. पीठ ने सोमवार को सरकार से कहा था कि या तो यूसुफ मलिक को तुरंत रिहा किया जाए या अदालत के आदेश के लिए तैयार रहें. पीठ ने यह स्पष्ट किया कि आगे राज्य द्वारा कोई भी तर्क अधिक प्रतिकूल टिप्पणियों को आमंत्रित करेगा. बेंच ने कहा, ‘क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम का मामला है? राजनीतिक प्रकृति के मामलों में एनएसए का उपयोग करना दुरुपयोग है. हम आदेश पारित करने या टिप्पणी करने से खुद को रोक रहे हैं. हम केवल कार्रवाई को रद्द कर रहे हैं.’
आजम खां के करीबी सपा के पूर्व प्रदेश सचिव यूसुफ मलिक के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में 26 मार्च 2022 को अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था. उन्होंने अपनी एफआईआर में कहा था, ‘यूसुफ मलिक के दामाद के घर को नगर निगम द्वारा लंबित करों को लेकर सील कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने और उनके रिश्तेदारों ने कथित तौर पर नगर आयुक्त के कार्यालय में हंगामा किया और अधिकारियों को धमकी दी.’ अनिल कुमार सिंह की ओर से दायर एफआईआर में मलिक पर आरोप था कि उन्होंने कथित तौर पर अतिरिक्त नगर आयुक्त अनिल कुमार सिंह के आधिकारिक फोन नंबर पर कॉल करके उन्हें गालियां दीं, उनके साथ दुर्व्यवहार किया और ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने की धमकी दी.
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Tags: Law, National Security, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : April 12, 2023, 08:33 IST