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Rajya Sabha elections 2024: चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव कई नई चुनौतियों से घिर गए हैं। अभी-अभी जयंत ने उनसे हाथ छुड़ाकर एनडीए गठबंधन का दामन थामा था और अब राज्यसभा पर सपा में कलह छिड़ गई है। टिकट न मिलने से नाराज स्वामी प्रसाद मौर्य ने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है तो अपना दल (कमेरावादी) की नेता सपा विधायक पल्लवी पटेल ने भी पीडीए की अनदेखी का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है। पल्लवी ने तो राज्यसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार को वोट न देने का ऐलान भी कर दिया है। दोनों नेताओं के तेवरों को देखते हुए आशंका जताई जाने लगी है कि कहीं राज्यसभा चुनाव का समीकरण न बदल जाए। इसने अखिलेश यादव की चिंता बढ़ा दी है।
राज्यसभा के लिए समाजवादी पार्टी के तीन उम्मीदवारों यूपी के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, चार बार की राज्यसभा सदस्य जया बच्चन और पूर्व सांसद और दलित नेता रामजी लाल सुमन ने विधान भवन के सेंट्रल हाल में मंगलवार को नामांकन किया। उम्मीदवारों का ऐलान होते ही सपा के अंदर का झगड़ा खुलकर सामने आ गया है। पार्टी के अंदर तनातनी की खबरें पहले भी आती थीं लेकिन राज्यसभा टिकटों पर कलह सबके सामने आ गई। पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के जिस फॉर्मूले के दम पर अखिलेश लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने का दम भर रहे हैं उसी के आधार पर उनके खिलाफ मोर्चा खुल गया है। मोर्चा खोलने वालों में सबसे आगे रहे स्वामी प्रसाद मौर्य। जिन्होंने अखिलेश यादव को बाकायदा चिट्टी लिखकर न सिर्फ अपनी नाराजगी जाहिर की बल्कि यह चिट्ठी मीडिया को भी दे दी। उन्होंने अपनी नाराजगी सार्वजनिक कर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।
पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद सपा ने उन्हें विधान परिषद में भेजा था लेकिन अब जब राज्यसभा की खाली सीटों पर चुनाव हो रहे हैं और समाजवादी पार्टी के पास कम से कम दो उम्मीदवारों को जिताने की ताकत दिख रही है तो स्वामी प्रसाद मौर्य चाहते थे कि अखिलेश यादव उन्हें राज्यसभा भेज दें। पिछले काफी समय से वह अपनी इमेज सामाजिक न्याय का मसीहा की तरह बनाने की कोशिशों में जुटे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी बदायूं से बीजेपी की सांसद हैं लेकिन इस बार बीजेपी उन्हें टिकट देगी, इस पर कम ही लोगों को यकीन है। जबकि समाजवादी पार्टी ने बदायूं सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जाहिर है, राज्यसभा चुनाव के लिए सपा उम्मीदवारों के नाम का ऐलान होने के बाद उन्हें अपनी अनदेखी का अहसास हुआ होगा। नाराजगी में पीडीए फॉमूले को आधार बनाकर उन्होंने अखिलेश पर हमला बोल दिया।
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस कदम को फिलहाल पीडीए की रणनीति पर काम कर रही सपा पर दबाव बनाने के रूप में देखा जा रहा है। साथ ही इस बात की चर्चा भी है कि वह एक बार फिर किसी अन्य सियासी दल में स्थान तलाश सकते हैं। वैसे उनकी नाराजगी कुछ और वजहें भी हो सकती हैं। मसलन पार्टी के कुछ नेताओं के विरोधी बयान। हाल में सपा नेता मनोज पांडेय ने कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। प्रो. रामगोपाल ने भी इस सवाल पर उनका बचाव नहीं किया। मौर्य ने इसके ठीक एक दिन बाद इस्तीफा दे दिया। उन्होंने सपा मुखिया को भेजे इस्तीफे में लिखा है कि हैरानी तो तब हुई जब वरिष्ठतम नेता ने चुप रहने के बजाय मेरे बयान को निजी बताकर कार्यकर्ताओं के हौसले को तोड़ने की कोशिश की।
पल्लवी पटेल ने लगाया ये आरोप
सिराथु से सपा विधायक और अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल राज्यसभा चुनाव में सपा प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी पीडीए की बात करती है। पीडीए का मतलब हुआ पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक। राज्यसभा में प्रतिनिधित्व देने के लिए घोषित प्रत्याशियों में सपा ने इस पीडीए का ध्यान नहीं रखा। यह धोखा है।
मुश्किलें अभी और भी हैं
कहा जा रहा है कि सपा में राज्यसभा चुनाव को लेकर शुरू हुआ घमासान यहीं खत्म होने की संभावना कम है। अखिलेश यादव के लिए आगे भी मुश्किलें आ सकती हैं। पार्टी के कई नेता अभी चुप हैं लेकिन मन ही मन बहुत नाराज हैं। आगे लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के समय भी ऐसी नाराजगी देखने को मिल सकती है।