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सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य भर्ती 2013 निरस्त करने के हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच के आदेश को लेकर रार बढ़ गई है। हाईकोर्ट ने प्रक्रिया में नौ साल का समय लगने पर भर्ती निरस्त कर दी थी। अब उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच में अपील करने जा रहा है। चयन बोर्ड के वकीलों ने तैयारी पूरी कर ली है और इसी सप्ताह अपील दाखिल हो जाएगी।
हाईकोर्ट के एक फरवरी के आदेश के बाद से प्रधानाचार्य भर्ती 2013 में चयनित और स्कूलों में कार्यभार ग्रहण कर चुके तकरीबन 400 प्रधानाचार्यों की नियुक्ति सवालों के घेरे में आ गई है। प्रधानाचार्य के 632 पदों पर भर्ती के लिए चयन बोर्ड ने 2013 के अंत में विज्ञापन जारी किया था और फरवरी 2014 तक आवेदन लिए गए। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद चयन बोर्ड ने 11 से 13 नवंबर 2022 के बीच 632 में से 581 पदों का परिणाम घोषित किया।
तदर्थ प्रधानाचार्य नहीं चाहते नियमित भर्ती
प्रधानाचार्य भर्ती में आने वाली अड़चनों का एक बड़ा कारण तदर्थ प्रधानाचार्य हैं। किसी स्कूल के प्रधानाचार्य के सेवानिवृत्त होने के बाद प्रबंधन वरिष्ठतम शिक्षक को तदर्थ प्रधानाचार्य का पदभार ग्रहण करवाते हैं। यदि सेवानिवृत्त होने वाला प्रधानाचार्य तदर्थ था तो उनके स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने वाले को तुरंत नियमित प्रधानाचार्य का वेतन मिलने लगता है। यदि रिटायर होने वाला प्रधानाचार्य नियमित हो तो तदर्थ प्रधानाचार्य को दो महीने बाद नियमित के बराबर वेतन मिलता है। एक बार नियमित वेतन मिलने लगता है तो तदर्थ प्रधानाचार्य नई नियुक्ति नहीं होने देना चाहते और तरह-तरह की अड़चन लगाते रहते हैं।