Sunday, December 15, 2024
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स्वाद का सफ़रनामा: एसिडिटी रोकने में बेहद मददगार है छाछ, शरीर को रखती है ठंडा


हाइलाइट्स

पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मददगार है छाछ का सेवन.
गर्मी के मौसम में शरीर को शीतल रखने का काम भी करती है छाछ.

Swad Ka Safarnama: दूध से बने प्रॉडक्ट में छाछ एक ऐसा पेय पदार्थ है, जिसकी भारत में खपत बहुत तेजी से बढ़ रही है. असल में जंक फूड की बढ़ती लोकप्रियता और खपत ने छाछ को लोगों के बेहद करीब ला दिया है. भोजन करने वाले व्यक्ति की यह इच्छा जरूर रहती है कि अगर खाने के साथ पानी के बजाय छाछ मिल जाए, जो खाने का मजा तो दोगुना हो ही जाए, साथ ही शरीर का भी ‘भला’ हो जाए. असल में छाछ की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह एसिडिटी को रोकने में मददगार है, इसकी तासीर भी ठंडी है और पाचन सिस्टम के लिए भी इसे बेहद लाभकारी माना जाता है. छाछ का इतिहास बेहद ही रोचक है.

लंच में अब टिफिन के साथ छाछ की बॉटल

आप किसी भी डेयरी प्रॉडक्ट शॉप पर जाएंगे तो पाएंगे कि वहां दूध, दही के पैकेट तो मौजूद हैं ही, छाछ (Butter Milk) के भी विभिन्न प्रकार और कंपनियों के पाउच व ट्रेटा पैक दिखाई देंगे. इनमें सामान्य छाछ, मसाला छाछ, पुदीना छाछ आदि शामिल हैं. शॉप के ऑनर से बात करो तो वह जवाब देगा कि अब तो अब तो छाछ पूरे साल बिकती है और गर्मी में तो इसकी खपत कई गुणा बढ़ जाती है. उसका कारण यह है कि पहले छाछ को बड़ी उम्र के लोग ज्यादा पीते थे, लेकिन अब तो हर उम्र के लोगों को छाछ पीने में आनंद आने लगा है. लोगों खासकर युवाओं को समझ आने लगा है कि कितना भी जंक या कॉन्टिनेंटल फूड खा लो, अगर साथ में बटर मिल्क भी पी लिया तो हजम करने में कोई समस्या नहीं है. छाछ की खपत का तो अब यह हाल है कि ऑफिस में लंच ले जाने वाले लोग अब साथ में छाछ की बॉटल भी वहन करने लगे हैं.

छाछ का सेवन पेट संबंधी समस्याओं में राहत दिलाता है. Image-Canva

पुरानी दिल्ली स्थित चांदनी चौक में तो एक ऐसी दुकान है, जहां सुबह ब्रेड मक्खन वाले नाश्ते के साथ साथ में मसालेदार छाछ पेश की जाती है. इस नाश्ते को लोग खूब पसंद करते हैं. वैसे अब तो जाने-माने रेस्तरां अपने मैन्यू में लस्सी के साथ बटर मिल्क को भी जोड़ रहे हैं. मजेदार बात यह है कि लोग सब जगह छाछ को पसंद कर रहे हैं.

कमर्शियल प्रॉडक्ट के रूप में बनाई जाने लगी है छाछ

आखिर क्या है छाछ और क्या है इसका इतिहास. असल में छाछ को दूध उत्पादन का सबसे निचले स्तर का प्रॉडक्ट या कहें कि ऐसा पेय है, जिसे हाल तक कोई खास तवज्जो नहीं दी जा सकती थी. गांवों में किसानों से या तो गरीब लोग इसे ले जाते थे, या इसे मवेशियों के चारे में डाल दिया जाता था. लेकिन कहते हैं न कि ‘घूरे के भी दिन फिरते हैं.’ वैसे घूरे के दिन तो दिवाली पर ही फिरते हैं, छाछ के तो 12 महीने के लिए ही फिर गए हैं. असल में जब दूध को जमा कर उसका दही बना लिया जाता है और उस दही से मक्खन निकाल लिया जाता है तो जो सफेद रंग का पतला पानी बच जाता है, वह छाछ कहलाता है.

चूंकि छाछ की लोकप्रियता और मांग बढ़ गई है, इसलिए कर्मशियल रूप से इसका उत्पादन किया जाने लगा है. अब बड़ी डेयरी प्रॉडक्ट कंपनियां दही में उचित मात्रा में पानी मिलाकर छाछ बनाती हैं और उसे पैकेट्स और ट्रेटा पैक में बेचती है. फर्क यह है कि पहले जो घर आदि में छाछ बनती थी, उसमें वसा या फेट की मात्रा न के बराबर होती थी, लेकिन आजकल बिकने वाली छाछ में दही वाले सारे तत्व पाए जाते हैं. छाछ के इतिहास का दूध या दही से सीधा संबंध है. भारत में तो इसका हजारों वर्ष पूर्व का इतिहास है. भारत के धार्मिक ग्रंथों विशेषकर वेदों व पुराणों में दूध व दही का खूब वर्णन है. तो द्वापर युग में अवतार लेने वाले भगवान कृष्ण के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा दूध, दही, मक्खन से जुड़ा है. मान सकते हैं कि भारत में छाछ का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है.

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धर्म व आयुर्वेदिक ग्रंथों में छाछ का महत्व

ऐसा नहीं है कि धर्मग्रंथों में ही इनके बारे में जानकारी दी गई है, शरीर को निरोग रखने वाले भारत के आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी छाछ (तक्र) का वर्णन किया गया है. ईसा पूर्व सातवीं-आठवीं शती में लिखे गए ग्रंथ (चरकसंहिता) के दुग्धवर्ग: अध्याय में तक्र का वर्णन है और इसे तेलीय भोजन को पचाने वाला, यूरिनल प्रॉब्लम में लाभकारी, पेट रोग व शरीर से विषाक्तता निकालने वाला पेय बताया गया है. छाछ की विशेषता संस्कृत के एक अन्य श्लोक से भी पारिभाषित होती है कि भोजनान्ते पिबेत्‌ तक्रं, दिनांते च पिबेत्‌ पय:. निशांते पिबेत्‌ वारि: दोषो जायते कदाचन:.. अर्थात भोजन के बाद छाछ, रात को दूध और सुबह पानी पीने वाले के शरीर में कभी किसी तरह का दोष या रोग नहीं होता.

Buttermilk

छाछ में शीतलता वाले उच्च गुण हैं, इसलिए यह उच्च रक्तचाप को को भी कंट्रोल में रखती है. Image-Canva

अब आप समझ गए होंगे कि शरीर के लिए छाछ कितनी उपयोगी है. इसे मसालेदार, मीठे पेय के रूप में तो पीया ही जा रहा है, अब तो सब्जी में स्वाद बढ़ाने के लिए पानी के बजाय छाछ डालने का चलन बढ़ने लगा है. छाछ में डूबे मसालेदार आलू की सब्जी तो सबको पसंद आ सकती है.

एसिड को रोकती है और कब्ज से छुटकारा दिलाती है

आजकल की छाछ चूंकि दही से बनाई जा रही है, इसलिए इसमें ज्यादा गुण पाए जाते हैं और यह शरीर के लिए बेहद लाभकारी भी बन जाती है. मुंबई यूनिवर्सिटी के पूर्व डीन व वैद्यराज दीनानाथ उपाध्याय का कहना है कि दूध का कोई भी प्रॉडक्ट पेट के लिए लाभकारी माना जाता है, लेकिन इन प्रॉडक्ट में प्रोटीन व फेट अधिक होता है, इसलिए संभव है कि ये साइड इफेक्ट भी पैदा कर दें. लेकिन छाछ में इनकी मात्रा बहुत कम होती है और बाकि गुण यथावत होते हैं, इसलिए यह शरीर को उचित लाभ पहुंचाती है. इसे भोजन के साथ या बाद लिया जाए तो यह शरीर में एसिड बनने से रोक देती है, यानी एसिडिटी की समस्या से छुटकारा मिल सकता है. यह पेट या सीने में जलन को भी शांत कर देती है.

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अगर छाछ में काला नमक, पीसा जीरा आदि डालकर पीया जाए तो यह ठंडक तो प्रदान करेगी ही साथ ही शरीर में मौजूद विषाक्त तत्वों को निकाल बाहर कर देगी. यह शरीर के डायजेशन सिस्टम को भी दुरुस्त बनाए रखती है. इसमें मौजूद लैक्टिक एसिड और बैक्टीरिया पाचन को बढ़ावा देने और भोजन को पचाने में मदद करते हैं. इसके सेवन से कब्ज जैसी समस्या तो तो छुटकारा मिल ही जाता है.

हड्डियों व मांसपेशियों को भी बल प्रदान करती है

गर्मी में छाछ को इसलिए बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह शरीर में निर्जलीकरण को रोक देती है. यह शरीर का हाइड्रेट कर देगी और शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखेगी. चूंकि छाछ में शीतलता वाले उच्च गुण हैं, इसलिए यह उच्च रक्तचाप को को भी कंट्रोल में रखती है. अगर हमारा रक्तचाप नियमित रहेगा तो हृदय भी समस्या से बचा रहेगा. चूंकि छाछ में केल्शियम प्राकृतिक तौर पर मौजूद रहता है, इसलिए यह हड्डियों व मांसपेशियों को भी बल प्रदान करती है. यह इनकी कमजोरी के खतरे को प्रभावी रूप से कम कर सकती है. समाान्य तौर पर छाछ का सेवन करने से कोई समस्या नहीं आती, लेकिन इसे रात में पीने से परहेज करना चाहिए. अगर सर्दी या बुखार से पीड़ित हैं तो इसके सेवन से बचें. बेहद सर्दी के मौसम में भी इसे पीने से परहेज करें तो बेहतर रहेगा.

Tags: Food, Lifestyle



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