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वेबसाइट पर दी जानकारी
यह फोटो नासा के लूनर रीकानिसन्स ऑर्बिटर यानी एलआरओ से क्लिक की गई है। चंद्रमा के सतह से ली गई इस फोटो के बारे में नासा ने अपनी वेबसाइट पर भी लिखा है। नासा ने बताया है कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 600 किलोमीटर दूर है। लैंडिंग के चार दिन बाद एलआरओ ने लैंडर का एक तिरछा दृश्य यानी 42 डिग्री स्लीव कोण हासिल किया। लैंडर के चारों ओर का चमकीला वातावरण रॉकेट की लपटों के महीन-दानेदार रीगोलिथ (मिट्टी) की वजह से हुआ है। नासा ने पांच सितंबर को यह फोटोग्राफ शेयर की है।
चांद पर सो गए विक्रम और प्रज्ञान
विक्रम लैंडर के बाद रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा पर सफल टचडाउन किया और कई अहम जानकारियां जुटाईं। दोनों रोबोटों दो सितंबर को स्लीप मोड पर चले गए हैं। चंद्रमा के कुछ स्थानों पर करीब 14 दिनों निरंतर सूरज की रोशनी रहतर है। उसके बाद 14 दिनों तक अंधेरा रहता है। दोनों ने अपने प्राथमिक मिशन पूरे कर लिए हैं। लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को उम्मीद है कि उनमें अभी भी कुछ खोज बाकी है। इसरो ने एक्स (पहले ट्विटर), पर एक पोस्ट में कहा, ‘सौर ऊर्जा खत्म होने और बैटरी खत्म होने के बाद विक्रम प्रज्ञान सो गए हैं। 22 सितंबर, 2023 के आसपास उनके जागने की उम्मीद है।’
क्या है नासा का LRO
नासा ने बताया है कि एलआरओ को गॉडर्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में ग्रीनबेल्ट, मैरीलैंड में साइंस मिशन डायरेक्टोरेट की तरफ से मैनेज किया जाता है। नासा के जिस एलआरओ ने विक्रम लैंडर की फोटो ली है उसे 18 जून 2009 को लॉन्च किया गया था। नासा का कहना है कि एलआरओ ने अपने सात शक्तिशाली उपकरणों के साथ डेटा का एक खजाना इकट्ठा कर लिया है। इससे चंद्रमा के बारे में कई तरह की जानकारियों में एक बड़ा योगदान हुआ है। एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी एलआरओ का प्रबंधन और संचालन करती है।
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